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न्यूयॉर्क3 दिन पहलेलेखक: शॉन डोनन
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प्यू रिसर्च सेंटर के शोधकर्ताओं ने पाया कि पिछले साल ऐसे लोग जिनकी दैनिक आमदनी 10 से 50 डॉलर (करीब 730 से 3,650 रुपए) थी, उनकी संख्या नौ करोड़ घटकर 250 करोड़ के आसपास रह गई।
कोरोना के कारण बीते साल 1990 के दशक के बाद पहली बार दुनियाभर के मिडिल क्लास के लोगों की संख्या घटी है। विकासशील देशों के तकरीबन दो-तिहाई परिवारों ने माना है कि उन्हें आमदनी में नुकसान का सामना करना पड़ा है।
प्यू रिसर्च सेंटर के शोधकर्ताओं ने पाया कि पिछले साल ऐसे लोग जिनकी दैनिक आमदनी 10 से 50 डॉलर (करीब 730 से 3,650 रुपए) थी, उनकी संख्या नौ करोड़ घटकर 250 करोड़ के आसपास रह गई। रिसर्च के मुताबिक, ऐसे लोग जिनकी दैनिक आमदनी दो डॉलर (करीब 146 रुपए) से कम थी, उनकी संख्या 13.1 करोड़ बढ़ गई।
वहीं, ऐसे लोग जिनकी दैनिक आमदनी 50 डॉलर (3,650 रुपए या इससे अधिक) थी, ऐसे 6.2 करोड़ लोग मिडिल क्लास की श्रेणी में आ गए। इसका एक अर्थ यह भी है कि दुनियाभर में मिडिल क्लास के कुल 15 करोड़ लोग महामारी से प्रभावित हुए। यह आंकड़ा फ्रांस और जर्मनी की कुल आबादी से भी अधिक है। अध्ययन के लेखक राकेश कोचर कहते हैं कि आधुनिक इतिहास में इस तरह उदाहरण बहुत कम देखने को मिलते हैं, जब वैश्विक अर्थव्यवस्था में इतनी बड़ी गिरावट आई हो।
