आगामी 1 फरवरी को पेश होने वाले बजट में इनकम टैक्स में ज्यादा राहत मिलने की उम्मीद नहीं की जा सकती है, क्योंकि 2020 में कोरोनावायरस महामारी के कारण सरकार पैसे की तंगी का सामना कर रही है। बजट का फोकस ऐसे कदमों पर रह सकता है, जिससे जनता को भी थोड़ी राहत मिले और सरकार की भी आय बढ़े। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा भी है कि इस बार का बजट ऐसा होगा, जैसा पहले कभी भी नहीं देखा गया है।
पिछले साल इनकम टैक्स प्रणाली में कुछ बड़े बदलाव हुए थे, इसलिए इस साल टैक्स ब्रैकेट में खास बदलाव की उम्मीद नहीं है। पिछले साल के बजट में सरकार ने पुरानी टैक्स प्रणाली के साथ एक वैकल्पिक सरल टैक्स प्रणाली दी थी। निवेश पर डिडक्शन क्लेम नहीं करने वाले लोग कम टैक्स स्लैब वाली नई प्रणाली को अपना सकते हैं।
वर्क फ्रॉम होम के खर्चे औेर महंगाई के कारण स्टैंडर्ड डिडक्शन बढ़ने की उम्मीद
वर्क फ्रॉम होम से जुड़े खर्चे और ऊंची महंगाई के कारण उद्योग संघ फिक्की ने वेतनभोगियों के लिए स्टैंडर्ड डिडक्शन को मौजदा 50,000 रुपए से बढ़ाकर 1 लाख रुपए किए जाने की उम्मीद जताई है। इससे लोगों का पर्चेजिंग पावर नहीं घटेगा। फिक्की ने यह भी सलाह दी कि स्टैंडर्ड डिडक्शन के साथ मेडिकल खर्च और ट्रांसपोर्टेशन के लिए रीइंबर्समेंट को भी जारी रखा जाए। पिछले साल के बजट में मेडिकल रीइंबर्समेंट और कनविएंस अलाउएंस को 50,000 रुपए के कंपोजिट स्टैंडर्ड डिडक्शन लिमिट में मिला दिया गया था। उससे पहले इनकम टैक्स के सेक्शन 17(2) के तहत सालाना अधिकतम 15,000 रुपए के मेडिकल रीइंबर्समेंट का प्रावधान था, जो 1999 में फिक्स किया गया था। भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) ने भी महंगाई के कारण स्टैंडर्ड डिडक्शन बढ़ाए जाने की उम्मीद जताई है। एसोचैम ने भी स्टैंडर्ड डिडक्शन लिमिट बढ़ाने की सलाह दी है, क्योंकि फाइनेंस एक्ट 2018 में लगाए गए 1 फीसदी के अतिरिक्त सेस के कारण स्टैंडर्ड डिडक्शन का अधिकांश हिस्सा बेअसर हो जाता है।
अफॉर्डेबल हाउस पर्चेज पर टैक्स लाभ की समय सीमा बढ़ने की उम्मीद
2019-20 के बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अफॉर्डेबल होम से जुड़े लोन के ब्याज भुगतान पर सेक्शन 80EEA के तहत 1.5 लाख रुपए का अतिरिक्त टैक्स लाभ दिया था। इसके लिए एक शर्त यह थी कि लोन किसी वित्तीय संस्थान द्वारा 1 अप्रैल 2019 से 31 मार्च 2020 तक की अवधि में ही सैंक्शन हुआ हो। कम आय वाली जनता के बीच अफॉर्डेबल हाउस की काफी मांग के कारण लोग चाहते हैं कि इस छूट की समय सीमा बढ़े। अफॉर्डेबल हाउस बनाने वाले बिल्डर्स भी मानते हैं कि समय सीमा बढ़ने से इस सेगमेंट में मांग बढ़ेगी। सेक्शन 24 के तहत होम लोन पर 2 लाख रुपए तक के ओरिजिनल डिडक्शन को मिला दिया जाए, तो समय सीमा के अंदर अफॉर्डेबल होम खरीदने वालों को कुल 3.5 लाख रुपए का टैक्स डिडक्शन क्लेम करने की सुविधा मिली हुई है।
कोविड मेडिकल खर्च में बढ़ोतरी पर टैक्स छूट मिलने की उम्मीद
कोरोनावायरस महामारी के कारण आम लोगों के चिकित्सा खर्च में बढ़ोतरी को देखते हुए सरकर इस तरह खर्च पर टैक्स छूट का लाभ दे सकती है। विशेषज्ञों के मुताबिक सरकार इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80D के तहत टैक्स लाभ बढ़ा सकती है। इस सेक्शन के तहत आयकरदाता और उसके पारिवारिक सदस्यों के लिए भुगतान किए गए मेडिकल इंश्योरेंस प्रीमियम पर टैक्स डिडक्शन मिलता है।
अतिरिक्त कोविड सेस की संभावना
कोरोनावायरस महामारी और वैक्सीनेशन अभियान पर होने वाले खर्च की भरपाई के लिए सरकार इस बार के बजट में बेहद समृद्ध लोगों पर कोरोनावयरस सेस लगा सकती है। सेस इसलिए भी लग सकता है, क्योंकि केंद्रीय सेस की वसूली को राज्यों के साथ साझा नहीं किया जाता है। भारतीय राजस्व सेवा संगठन (IRSA) ने पिछले साल महामारी के बीच फंड जुटाने के लिए सुपर रिच पर वन टाइम कोविड रिलीफ सेस लगाने की सलाह दी थी। SBI की एक रिपोर्ट के मुताबिक 16 जनवरी से शुरू होने वाले पहले वैक्सीनेशन अभियान पर 21,000-27,000 करोड़ रुपए और दूसरे चरण पर अतिरिक्त 35,000-45,000 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है।
नई बचत योजना या बांड लाने की उम्मीद
आर्थिक रिकवरी और इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए राजस्व जुटाने और बचत को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सरकार कुछ बचत योजनाओं या टैक्स फ्री जैसे बांड की घोषणा कर सकती है। निवेशक समुदाय कैपिटल गेन टैक्स या STT में राहत मिलने की भी उम्मीद कर रहे हैं।
पार्टनरशिप और LLP कंपनियों पर इनकम टैक्स रेट घटने की उम्मीद
छोटे कारोबारियों ने पार्टनरशिप और LLP कंपनियों पर इनकम टैक्स रेट को घटाकर 22 फीसदी करने की मांग की है। अभी यह रेट 30 फीसदी है। फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया व्यापार मंडल (FAIVM) के महासचिव वीके बंसल ने कहा कि टैक्स रेट घटने से इन कंपनियों का इनकम टैक्स रेट कॉरपोरेट टैक्स के बराबर हो जाएगा।
महामारी के कारण पैसे की तंगहाली झेल रही है सरकार
कोरोनावायरस महामारी और लॉकडाउन के कारण सरकार का खर्च बढ़ने और आय घटने से देश का वित्तीय घाटा दिसंबर में ही बढ़कर 2020-21 के टार्गेट के 135 फीसदी लेवल को पार कर गया है। इस कारोबारी साल के लिए वित्तीय घाटा का लक्ष्य GDP का 3.5 फीसदी रखा गया था, लेकिन विश्लेषक मानते है कि यह GDP के 7 फीसदी के आसपास पहुंच सकता है। इस कारोबारी साल में देश की विकास दर में भी 7 फीसदी से ज्यादा गिरावट रहने की आशंका है। इसलिए जनता को भी राहत मिले और देश का राजस्व भी बढ़े, इसके लिए सरकार को बजट में कुछ इनोवेटिव प्रावधान करने होंगे।