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- Pakistan Does Not Believe That Karima Has Committed Suicide, Pakistan Has Been Killing Those Seeking Independence From Balochistan: Latif Johar Baloch
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टोरंटोएक महीने पहले
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करीमा बलोच (बाएं) और एक अन्य दोस्त के साथ लतीफ जोहर बलोच।
- 22 दिसंबर को बलूचिस्तान की मानवाधिकार कार्यकर्ता की कनाडा में हुई थी मौत
बलूचिस्तान में पाकिस्तानी सेना के जुल्मों के खिलाफ आवाज उठाने वाली मानवाधिकार कार्यकर्ता करीमा बलोच की पिछले सप्ताह कनाडा में मौत हो गई। आशंका जताई जा रही है कि पाकिस्तानी सेना ने उनकी हत्या करवाई है। हालांकि, कनाडा की पुलिस इसे आत्महत्या मानकर चल रही है।
इस मुद्दे पर टोरंटो में करीमा के करीबी दोस्त लतीफ जोहर बलूच से दैनिक भास्कर के लिए अमित चौधरी ने बातचीत की। लतीफ भी बलूचिस्तान की आजादी के लिए संघर्ष कर रहे हैं। वे करीमा के पुराने पारिवारिक दोस्त रहे हैं। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश…
कनाडा पुलिस किसी साजिश की तरफ इशारा नहीं किया है? आपको लगता है कि यह एक आत्महत्या है? टोरंटो पुलिस पर हमें भरोसा है, लेकिन हम यह नहीं मान सकते कि करीमा ने आत्महत्या की है। वह ऐसी महिला नहीं थी। उसकी जिंदगी में कई बड़ी से बड़ी चुनौतियां आई थी, लेकिन उसने कभी हार नही मानी।
क्या आप मानते हैं कि करीमा बलोच की मौत के पीछे पाकिस्तान की सेना का हाथ है?
नहीं मैं यह नहीं कह सकता कि इसके पीछे किसका हाथ है, लेकिन हम इसे नजरअंदाज भी नहीं कर सकते। इतिहास पर नजर डालें तो बलूचिस्तान के संघर्ष की आवाज उठाने वाले कई लोगों की पाकिस्तान के अंदर और विश्व के कई देशों में हत्या हुई है। इसमें कई हमारे दोस्त भी शामिल हैं।
आपकी करीमा से आखिरी मुलाकात कब हुई थी?
करीमा से मेरी मुलाकात उसके गायब होने के तीन दिन पहले यानी 17 दिसंबर को यूनिवर्सिटी ऑफ टोरोंटो की लाइब्रेरी में हुई थी। हमारे साथ एक अन्य दोस्त भी था। वह पास के रेस्टोरेंट से हमारे लिए खाना लेकर आई थी। हमने पढ़ाई के साथ साथ कई विषयों पर बात की। बलूचिस्तान को लेकर हमारे कई प्रोजेक्ट्स पर बात होती रहती थी और उस दिन भी हुई थी।
यह क्या प्रोजेक्ट थे?
मैं इनको मीडिया के साथ साझा नहीं कर सकता।
क्या पुलिस ने कुछ तथ्य साझे किए हैं? पुलिस ने अब तक परिवार को कोई ठोस सबूत नहीं दिया है। हमें कुछ नही बताया है कि वह इसे आत्महत्या क्यों मान कर चल रही है।
क्या आपने या परिवार ने डेड बॉडी को देखा ?
करीमा की बॉडी अभी भी पुलिस के कब्जे में है, हमें नही देखने दिया गया है।
क्या आप खुद को सुरक्षित महसूस कर रहे हैं?
करीमा की मौत के बाद सिर्फ मेरे ही नहीं, बल्कि ब्लूचिस्तान की आजादी के संघर्ष से जुड़े हर इंसान की सुरक्षा पर सवाल है।